Thursday, November 25, 2010

Pushp ki Abhilasha-Makhan lal Chaturvedi

चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ

चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ

चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि, डाला जाऊँ

चाह नहीं, देवों के सिर पर चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर देना तुम फेंक

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पर जावें वीर अनेक ।।

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